Add To collaction

द गर्ल इन रूम 105–७६

था।'

"क्योंकि में हिंदू हं?"

"हां, अलबत्ता मैं इतने पुराने ख्यालात का भी आदमी नहीं हूँ।'

मैंने राहत की सांस ली। श... ..शुक्रिया, अंकला' उन्होंने सिर हिला दिया। 'हां, सो एनीवे, हम कोई ना कोई रास्ता निकाल ही लेंगे।' लंच के बाद हम गार्डन में चले गए। जारा के पिता और मैं एक झूले पर बैठे थे। जारा अपने जर्मन शेफर्ड

डॉग रूबी के साथ खेल रही थी, जो जारा के पीछे दौड़ने के बजाय धूप में सुस्ताना ज्यादा चाह रहा था। जैनच एक झपकी लेने चली गई थीं।

ज़ारा हांफती हुई आई और हमारे साथ झूले पर बैठ गई। सफ़दर ने मुझसे कहा, 'तो, मुझे बताओ कि

तुम्हारे पैरंट्स के साथ क्या सिचुएशन है?" "हां, यह तो मैं भी जानना चाहती हूं, केशव जारा ने कहा।

मैंने उन्हें अपने माता-पिता के एंटी मुस्लिम कमेंट्स हटाकर अलवर में जो कुछ हुआ, वो सब बता दिया।

"ओह, तो इसीलिए हमें अलवर से आनन-फानन में आना पड़ा था, जारा ने कहा 'तुम अलवर गई थीं?' सफ़दर ने कहा।

"कैजुअल विज़िट वेल, और फिर मुझे इसके घर से निकाल बाहर कर दिया गया।'

"ऐसा कुछ नहीं हुआ था, मैंने कहा। अपने पैरेंट्स के खिलाफ गलत बातें सुनना कठिन होता है, फिर चाहे वे

आपके

खिलाफ ही क्यों न हों।

"तो वो लोग मुस्लिमों से नफरत करते हैं?' सफ़दर हंस पड़े।

मैंने उनकी तरफ हैरानी से देखा ।

नहीं, उनके तो कुछ मुस्लिम दोस्त भी हैं। लेकिन अपने इकलौते बेटे की शादी एक मुस्लिम लड़की से करना, यह उनके लिए जरूरत से ज़्यादा है।'

'अगर आप किसी इंसान के ख्यालात जानना चाहते हैं तो यह पूछकर देख लीजिए कि वे अपने बच्चों की आदी किस कम्युनिटी में करेंगे और किसमें नहीं करेंगे, सफ़दर ने मुस्कराते हुए कहा। 'वो अच्छे लोग हैं। मेरा यकीन कीजिए। वो बस डरे हुए हैं। वो मुझे प्यार करते हैं। देर-सवेर वो मान

जाएंगे। बस अभी उनके लिए थोड़ा मुश्किल है।

"तो तुम क्या करना चाहोगे?" जारा ने कहा।

'हम शादी कर लेते हैं। फिर उन्हें कन्विंस कर लेंगे। तब उनके पास कोई और चारा नहीं रह जाएगा।' मैंने

कहा।

"तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे पैरेंट्स से मिले बिना जारा की शादी तुमसे कर दूं?" सफ़दर ने कहा।

'आप चाहें तो उनसे मिल सकते हैं, लेकिन इससे नुकसान ही होगा।" सफ़दर पीछे खिसककर बैठ गए।

'अगर मेरी मानो तो तुम लोगों को अलग हो जाना चाहिए, सफ़दर ने कहा। 'हम अलग नहीं हो सकते, मैंने और जारा ने एक साथ कहा।

सफ़दर ने हम दोनों की ओर देखा।

"प्लीज हमारी मदद कीजिए, अंकल

, ' मैंने कहा।

वे उठ खड़े हुए और झूले के इर्द-गिर्द चहलकदमी करने लगे।

'कुन्छ कहिए, डैड, जारा ने कहा।

"तब हम अपने रिवाजों से यह करेंगे। निकाह करना होगा।"

"जो भी हो. मैंने कहा।

"हम तुम्हें निकाह के दौरान या उसके पहले भी एक सेरेमनी में शहादा दे सकते हैं।'

"शहादा?' मैंने कहा। मैंने इससे पहले यह शब्द कभी नहीं सुना था। सफ़दर जारा की ओर मुड़े।

“तुम्हारे दोस्त को इतना भी नहीं पता? और इसके बाबजूद वो एक मुस्लिम लड़की से प्यार कर रहा है।' 'टैंड, इस शहादा की क्या जरूरत है? मुझे नहीं लगता हमें यह....

यकीनन इसकी जरूरत है, ' सफ़दर ने कहा 'क्योंकि इसके पैरेंट्स तो इसे छोड़ देंगे। तब हमें अपनी तरफ

   0
0 Comments